poetry
प्यार क्यों करना चाहिए ??
हसते हसते किसी के लिए मरना हो
तो प्यार करना चाहिए
दिल में रखकर किसी को दुनिया से छुपाना हो
तो प्यार करना चाहिए
रात को चाँद से बात करनी हो
तो प्यार करना चाहिए
नींद की जगह ख्वाब में सोना हो
तो प्यार करना चाहिए
मुस्कुराकर आशु खरीदना हो
तो प्यार करना चाहिए
दिल हारकर दुनिया जितनी हो
तो प्यार करना चाहिए
भीड़ में अकेला रहना हो
तो प्यार करना चाहिए
दुआ उसके लिए करनी हो जिसने तुम्हे रुलाया है
तो प्यार करना चाहिए
जीना उसके लिए हो जिसपर हर रोज मरते हो
तो प्यार करना चाहिए
अगर तैरना आता हो फिर भी डूबना हो
तो प्यार करना चाहिए
सबकुछ जानकर भी खामोश कैसे रहे ये सीखना हो
तो प्यार करना चाहिए
किसी के लिए तडपना हो
तो प्यार करना चाहिए
हर रात रोना हो
हर दिन इन्तजार करना हो
रोते हुए भी हसते रहना हो
ऐसे टूटना हो की फिर कभी जुड़ ना सको
ऐसे खोना हो की फिर कभी मिल ना सको
तो प्यार करना चाहिए
हा..
प्यार करना चाहिए
ये जानने के लिए की प्यार क्यों नही करना चाहिए…
- by Hira Mokariya
कहा है वो..???
रिमझिम बारिश
भीगी रेत की खुश्बू
ठंडी हवाएं
सुहानी रात
और मेरा दिल..
सब यही है..
तो फिर कहा है वो ?
हर जगह ढूंढ लिए मैंने..
घर में
आँगन में
गांव में
यहाँ तक की
हाथ की लकीर में भी
अब तो कोई बतादो
कहा है वो??
ओह्ह..भूल चुकी थी में एक पल के लिए
जा चूका है वो हमेशा के लिए..
और ये कमबख्त इश्क..
मुझे छोड़ने को तैयार नहीं है
और आखे
अभी भी घर की चोखट पे अटकी है
की कहा है वो ?
पर मेरा प्यार सच्चा था
मुझे हमेशा से ही लगता था..
उसको एक दिन जरूर वापस आना था,..
देखो… वो आगया
मेरे पास
मेरा हाथ पकड़ने
मुझे गले लगाने
अब मुझे किसी से पूछने की जरूरत नहीं
की कहा है वो,..?
उसकी आँखों में वही आँसु है
जो मेने कभी उसके लिए बहाए थे..
और वो मेरे लिए ही रो रहा है..
पर में उसे माफ नहीं करूंगी
में उसके आंसू नहीं पोछूँगी..
चाहे वो कितना भी तड़पे
में पत्थर बनकर बैठी रहूंगी
अपनी कब्र में….
मेरे तो बस में नहीं
कोई जाके कह दो उसे
में इस दुनिया में नहीं
ये पूछने के लिए
कहा है मेरे वो???
- by Hira Mokariya
कहीं पे तो मिलेगा ना तू...
इंतजार कर रही हूँ तुम्हारा
कहीं तो मिलेगा ना तू
शायद उस मोड़ पर नहीं
शायद मेरे घर में नहीं
उस मंदिर में नहीं
उस खेत में नहीं
शायद नसीब में भी नहीं
पर कही तो मिलेंगा न तू
हकीकत में नहीं चलो ख़्वाबों में ही सही
आसपास नहीं चलो दूर ही सही
छाव में नहीं तो कड़ी धुप में ही सही
खिलखिलाती हसी में नहीं तो यादो के आँसु में ही सही
कही तो मिलेंगा न तू..
ज़िन्दगी भर नहीं तो ज़िन्दगी के बाद ही सही
जमीं पर नहीं चलो आसमान में ही सही
कही तो मिलेंगा न तू..
- by Hira Mokariya
न राधा बनी न रुक्मणी
न राधा बनी न रुक्मणी
राम थे वो मेरे
पर न सीता बनी न सबरी
मान लिया आज
मेरी मह्होबत थी एकतरफ़ा
इसलिए न वो मेरे हुए
न में हुई किसी और की..
लगता है पंछी अब फिर कभी नहीं गाएंगे
तेरे वापस आने की खबर कभी नहीं लायेंगे..
तेरे नाम की मेहँदी कोई और लगाएगा
और मेरी लकीरों से तेरा नाम यु ही मिट जायेगा..
नदिया तो बहती रहेगी
पर समंदर से मिल नहीं पाएगी
आँखें सूख जाएगी
पर तुझे न देख पायेगी..
अब कहा वो रोमानी साम आएगी
जो तुझसे बात करते करते ही बीत जाएगी
और न ही वो सुबह कभी आएगी
जब मेरे होठ तेरी आँखो को जगाएंगे…
कोई है जिससे में मह्होबत करती हु
और
कोई था जिससे में मह्होबत करती थी
इतना सफर तो गुजर गया
फिर भी लगता है उसके बिना ज़िन्दगी नहीं गुज़र पायेगी..
दिल में तो तू किसी और के रहेगा
मेरी तो सिर्फ किताबो में आएगा
मेने सोचा भी नहीं था
एक दिन तू युही मुझसे छीन लिया जायेगा..
- by Hira Mokariya
हवाएं मुझसे कुछ कहना चाहती है…
अभी अभी एक परिंदे ने आकर बताया
की ये हवाएं मुझसे कुछ कहना चाहती है
मुझे इंतज़ार है जिसका
कहीं उसके बारे तो नहीं बताना चाहती है..
पर ये आसानी से नहीं बताएगी
थोड़ा तो जरुर सतायेगी
उनका सन्देश जो लेकर आई है
और इतनी भी क्या जल्दी है
जो जोर जोर से चल रही है..
मेने कुछ बादलों को उधार लिया था
इसे रोकने के लिए
पर बिखेर दिया इसने बादलो को
भला इतना भी क्या कीमती सन्देश है
जो इतना खर्चा करवाती है..
कभी कहती है इधर आओ तो सुनाऊं
कभी कहती है कि उधर आओ तो सुनाऊं
अरे इतना भी क्या दौड़ाती है
बोल दे अब क्या कहना चाहती है…
कहा की आँखे बंद करो तो सुनाऊं
मैने आंखे बंद की
और ये क्या बात हुई
मेरे होठों को चूम कर चली गयी
हवाये आज कल हद से गुजर जाती है..
बस अब बहुत हुआ
नहीं सुनना मुझे अब की क्या कहना चाहती है
फिर भी नज़दीक आती है
और कानों में कुछ कहने के बहाने
मेरे बालो को छेड़ जाती है…
अचानक क्यों रुक गयी
अभी तो जोर जोर से चल रही थी
बादल भी नज़र नहीं आ रहे
और फिर अचानक मेरे वो सामने आ गए
मैं रूठी हुई थी हवाओ से
और वो मेरी तरफ मुस्कुराये
में शरमा गयी
जब पता चला
हवाएं मुझसे ये कहना चाहती है…
- by Hira Mokariya
मह्होबत की है मैने उससे..
हां..
मह्होबत की है मैने उससे
पर क्यों की है
ये पूछकर मेने अपने दिल को कभी रूलाया नहीं..
जब वो जा रहा था
मेने उसे पीछे से आवाज देकर कभी बुलाया नहीं..
जब आकर उसने मुझसे पूछा ..
की क्या में ही हु वो दाढ़ी वाला लड़का?
मेने हसकर उससे आँसु छुपाया
लेकिन कभी अपना प्यार जताया नहीं..
कहानियो में आता हो मेरी
दिल में रहता है..
पर आशियाना उसका मे नहीं..
जिसकी आँखो में रहना था
वो नज़रे चुराने लगे हमसे
शायद अब हम उनके खास नहीं..
हम क्या ही बताये अब
वो क्यों दूर जाने लगे हमसे..
हमें खुद भी तो मालूम नहीं…
हां..
मह्होबत की है मैने उससे
जो मेरी तकदीर में नहीं….
- by Hira Mokariya
भूल गया...
गाव मालूम उसे मेरा
शायद मेरे घर का रास्ता भूल गया
वापस आना था उसे
शायद वो वादा वो भूल गया..
चल तो रहा है वो मेरे साथ साथ
शायद हाथ पकड़ना भूल गया
दिल के आसपास है वो
शायद अंदर आना भूल गया…
आंसू तो दीखते है उसे मेरे
शायद वो पोछना भूल गया
हम कहा दुर गए है उनसे
शायद वो पास आना भूल गया..
हम तो अभी भी वही खड़े है
जहाँ वो हमें छोड़ कर गया था
शायद वो वापस आना भूल गया
नज़रे चुरा रहा है वो हमसे
शायद नज़रे मिलाना भूल गया..
महोब्बत थी उन्हें हमसे कभी
शायद वो मह्होबत भूल गया
नहीं...
वो हमें ही भूल गया..
- by Hira Mokariya
यादें
जानती हू की तुम वापस नहीं आ सकते
लेकिन एक बार आओ
और अपनी यादो को भी साथ लेते जाओ..
ना हॅसने देती है ना रोने देती है
ये तेरी यादें रात को कहा सोने देती है..
ना अकेला होने देती है ना किसी के साथ होने देती है
ये तेरी यादें मुझे कहा मुझे सुकून से जीने देती है…
एक दिन तो इतना गुस्सा दिला दिया
की मेने बक्से बंद करके के ताला लगा दिया
पर कमबख्त ये चाबिया भी कहा खोने देती है…
इसकी जुर्रत तो देखो
मेरे बालो को छेड़ती है
मेरे होठों को चूमती है
और अगर रोकू तो और सताती है
तेरी यादें आजकल हद से गुजर जाती है..
जो मिला नहीं उसकी सिर्फ यादें मिली
अगर यादो को मिलना ही था तो तू क्यों मिला नहीं..
कितनी बार तुम्हे पुकारा
तुम कभी नहीं आये
हर बार इन यादो को भेज दिया
जो मुझे छु कर अनछुआ कर जाती है…
जितना समेटना चाहूँ उतनी और फ़ैल जाती है
मुझे कहा मालूम था
कि जाने के बाद सिर्फ यादें रह जाती है..
- by Hira Mokariya
कौन उसे समझाए ???
अपने सीने में कुछ टुकड़े छुपाकर बैठी है वो
कोई केहदो उसे
की टूटी हुयी चीजो कोई कीमत नहीं होती..
आँशु को दिनभर रोककर रखा उसने
बरसने से
क्या लगता है उसे रात को बारिश नहीं होती..
पकड़कर रखा है उसने
छुट्टी हुई मह्होबत का हाथ
कैसे बताऊं में उसे
हाथ पकड़ने से मह्होबत नहीं होती..
चाँद से थी मह्होबत उसे
अब कहा ढूढ़ने जाऊ में उसके जैसा
चाँद कोई विकल्प नहीं होता..
ढूंढने से मिल जाये वो खुदा है
पर ढूंढने से महोब्बत नहीं मिलती..
दिन तो गुजर जाते है
पर समजाओ कोई उस पगली को
तस्वीरो के सहारे ज़िंदगी नहीं गुजरती..
शिकायत है उसे कि उसकी मह्होबत हार गयी
अब कौन उसे समझाए
की महहोबत में कभी जीत नहीं होती..
- by Hira Mokariya
वो नालायक लड़का
टी शर्ट को छोड़ के शर्ट पहनने लगा है
वो क्लीन शेव वाला लड़का
आजकल दाढ़ी रखने लगा है..
जो हर किसी से हसकर बात करता था
वो नटखट छोरा
आजकल खामोश रहने लगा है..
देर रात तक जागकर
दोपहर तक सोने वाला लड़का
आजकल सूरज से पहले जागने लगा है..
जो कभी किसी की सुनता ना था
वो गैरजिम्मेदार लड़का
आजकल खुदकी गलती ना होने के बावजूद भी
सॉरी बोलने लगा है..
जिसने खुद के आलावा किसी और से प्यार किया ही नहीं
वो नालायक लड़का
आजकल अकेले में रो रहा है…
सुना है उसे मह्होबत हो गयी है
उसके बगल में ही रहने वाली
जिम्मेदारी से...
- by Hira Mokariya
इश्क़
इश्क़ वो नहीं जो कहानी बन के रह जाये
इश्क़ वो नहीं जो लफ्ज़ो में बयां हो जाये...
इश्क़ वो नहीं जो रात को चैन से सो जाये
इश्क़ वो नहीं जो महबूब को न रुलाये..
इश्क़ वो नहीं जो छूने से हो जाये
इश्क़ वो नहीं जो कभी न सताए..
इश्क़ तो वो है जो उसे कभी मुझसे हुआ नहीं
और मुझे ,, बार बार बस उसीसे ही होता जाये..
- by Hira Mokariya
आखरी बार
चल ना आखरी बार समंदर किनारे जाये
बादलों को मनाए
बारिश लाये..
चल ना आखरी बार मेरी माँ से मिलने जाये
उसका पल्लू खींच खींच कर उसे सताए..
चल ना आखरी बार मेरे गाँव जाये
सारी गलिया घूम आये..
चल ना आखरी बार मेरे पापा के पैर छू के आये
और मेरे भाई को मार पड़वाए..
चल ना आखरी बार मेरे मेहबूब से मिलने जाये
उसे गले लगाकर थोड़ा और रोके आये..
उठ जा ना अब
इतना भी क्यों सबको सताए,.
अब छोड़ दे रुठना..
चल ना आखरी बार कुछ अधूरे ख्वाब पुरे कर के आये
थोड़ा और जीके आये..
ए मौत
थोड़ी मोहलत दे दे अगर
तो आखरी बार मैं और ज़िन्दगी थोड़ा घूम आये…
- by Hira Mokariya
ये आंसू..
मेने मना किया
लेकिन फिर भी शिकायत लेकर आ गये
ये आंसू..
तुझसे तो छुपा लिए
लेकिन अकेले में मुझे सताने आ गये
ये आंसू..
जरा सा दिल किसीने दुखाया
तेरी याद आते ही आ गये
ये आंसू..
लब्ज़ो ने तो साथ दिया नहीं
आँखो से लब्ज बनके आ गये
ये आंसू..
वैसे तो कोई मोल नहीं इसका
पर फिर भी मह्होबत ख़रीदने आगये
ये आंसू..
बरसो बाद जब देखा चेहरा उसका
तो शिकायत करने आ गये
ये आंसू..
रात हो चुकी है
लेकिन पलकों में नींद की जगह आ गये
ये आंसू..
खैर छोड़ो ..
मेरी आखो की तो आदत है
ये आंसू..
- by Hira Mokariya
मैं उसे कैसे छोड़ दू ..
(ये उन सब शायरों के लिए जो अपने प्यार को बेवफा केह्के शायरिया लिखते है,ये उनकी बेवफा का जवाब है)
मैं उसे कैसे छोड़ दू
जिसने मेरे लिए सिगरेट तो क्या
चाय तक पीना छोड़ दिया…
मैं उसे कैसे छोड़ दू
जो मेरी चोट को सिर्फ महसूस नहीं करता
मेरे साथ साथ रोता भी है..
मैं उसे कैसे छोड़ दू
जो मुझे नींद आने तक सोता नहीं है
जो मेरी गलती होने के बावजूद भी डाँटता नहीं है..
मैं उसे कैसे छोड़ दू
जो क्रिकेट मैच को छोड़ कर मेरे साथ कुमकुमभाग्य देखता है..
मैं उसे कैसे छोड़ दू
जो मुझे चने छिल के खिलाता है
और जब से पता चला की मुझे दाढ़ी वाले लड़के पसंद है तबसे मम्मी के लाख मना करने के बावजूद भी दाढ़ी बढ़ता है..
मैं उसे कैसे छोड़ दू
जो मैं रोउ तो दुखी हो जाता है
जो में हसू तो खिल उठता है
तू ही बता..
मैं उसे कैसे छोड़ दू
जो मेरे गुस्सा होकर सोने के बावजूद भी सोने से पहले मेरे माथे को चूमता है..
माना तू बहुत बड़ा शायर है..
शायरियां लिखकर तूने अपना दर्द बयां कर दिया
और मुझे इश्क़ को गुनहगार साबित कर दिया..
पर कभी सोचा है
की इसे सुन के मुझ पर क्या बीतती है..
मान लिया मैं तेरी बेवफा हू
तू भी उसका कर्जदार है
जिसने तेरी बेवफा से बेइंतहा प्यार किया..
- by Hira Mokariya
किस्मत से वो जरूर हारी होगी..
किस्मत से वो जरूर हारी होगी..
जो तुझे देखते ही दूर से मुस्कुराती होगी
दिल में अपार प्रेम भरके
वो आँखों से छुपा रही होगी..
दिन रात तेरे सपने देख के
वो ये कहने से शरमा रही होगी..
किस्मत से वो जरूर हारी होगी..
रोई होगी वो बहुत
जिस दिन तूने उसे छोड़ा होगा
पर शिकायत कभी लब्जो पे ना होगी..
तेरे लिए मंदिर मंदिर भटकती होगी
हर दुआ में बस तुझे ही माँग रही होगी
बस तुझे तुझसे मांगने में हिचकिचाती होगी..
तुझे देखने के लिए हर पल तरसती होगी
हर किसी से तेरा हाल पूछती होगी
बस तुझे पूछने में घबराती होगी…
किस्मत से वो जरूर हारी होगी..
तेरे साथ साथ चलने का इरादा होगा
पर फिर भी दो कदम पीछे आ रही होगी
हाथ तूने ना थामा उसका
इसलिए मुस्कुराकर आंसू छुपा रही होगी
फ़िक्र तो बहुत करती होगी तेरी
पर फिर भी खुद को बेफिक्र बता रही होगी
किस्मत से वो जरूर हारी होगी...
मुट्ठी में तेरा ही नाम लिखा होगा
पर मुट्ठी खोलने से डरती होगी..
मन ही मन तुझे अपना वर मान लिया होगा
पर तुझ पे हक़ न जता पा रही होगी
किस्मत से वो जरूर हारी होगी..
रंग मेहँदी का गेहरा देखके वो आंसू बहा रही होगी
तेरी बारात को किसी और के घर ठहरा देखकर
जान उसकी जा रही होगी...
किस्मत से वो जरूर हारी होगी..
मन तो उसका भी करता होगा
तुझे गले लगा कर रोने का
पर तुझे ये कहने की हिम्मत न कर पा रही होगी..
तुझे बेइंतहा प्यार करके
लफ्जो में बयां ना कर पा रही होगी..
इतनी तो हिम्मत उसमें भी होगी
की तुझे कान पकड़कर वापस ले आये
किसी और की गलियों से..
पर किस्मत से वो जरूर हारी होगी..
वो लड़की
जरूर वो लड़की
मेरी तरह
किस्मत से हारी होगी..
- by Hira Mokariya
क्या करोगे उसदिन
क्या करोगे उसदिन
जब मेरी मोहब्बत का तुम्हें एहसास होगा….
जब मेरी याद तुम्हें सताएगी
क्या करोगे उसदिन
जब रात को नींद नहीं आएगी
क्या करोगे उसदिन
जब शाम को तन्हाईयाँ रुलायेगी
क्या करोगे उसदिन
जब तेरी आंखे मुझे देखने को तरस जाएगी
क्या करोगे उसदिन
जब मेरे सिवा तेरा अकेलापन नहीं जाएगा
क्या करोगे उसदिन
जब हस्ते हस्ते रो पड़ोगे
क्या करोगे उसदिन
जब मेरे आँसू तुम्हे रुलायेंगे
बोलो ना…
क्या करोगे उसदिन..
जब मैं तुम्हें याद कर कर के सो जाउंगी
और तुम मुझे जगा नहीं पाओगे
क्या करोगे उसदिन
जब तुम रोओगे पर में तुम्हारे आंसू नहीं पोंछ पाऊँगी
बोलो ना…
क्या करोगे उसदिन..
जिस दिन में मर जाउंगी..
- by Hira Mokariya
क्या???
रुक रुक कर चलने वाली ये साँसे
फिर से ठीक क्यों हो रही है..
मेरे लिए रब से हाथ जोड़े है क्या???
अब तो उस डॉक्टर ने भी बोल दिया..
सब खुदा के हाथ में है
इसलिए मंदिर की और दौड़े हो क्या??
अब तो घरवाले भी जनाजे की तैयारी कर रहे है..
उनपे भी यकीन नहीं
मेरी मौत को द्वार पे रोकके खड़े हो क्या???
आख तो में कब की बंद कर चुकी हु
फिर भी मेरी मौत से जंग छेड़े हो क्या???
मौत ने मेरा हाथ थाम लिया है
तुम भी अब हाथ पकड़ने का इरादा कर रहे हो क्या???
मेरी लाश में भी जान आ रही है
गले लगाने कोशिश की कर रहे हो क्या???
तुज एक को सच साबित करने के लिए किन किन को झूठा बनाऊ मैं
क्युकी मौत तो उसी दिन हो गयी थी मेरी
जिस दिन तूने मुझे छोड़ दिया था
अब हाथ पकड़कर करोगे क्या???
चलो जाने भी दो
चलो जाने ही दो
अब जाने भी नहीं दोगे क्या???
- by Hira Mokariya
चलो वादा करो
चलो वादा किया भूल जाउंगी तुम्हे
पर तुम भी वादा करो कभी याद न आओगे मुझे...
चलो वादा किया तुम्हारे लिए न रोएंगे कभी
पर तुम भी वादा करो कि अपनी आखों में मेरे नाम के आँसू न लाओगे कभी..
चलो वादा किया अपने बच्चों के नाम तुम पर नहीं रखूंगी
पर तुम भी वादा करो कि मेरी उस तस्वीरों को अपने लैपटॉप से डिलीट करोगे अभी…
चलो वादा किया उस भगवान के सामने आँख बंद करते ही तुम्हे आने नहीं दूंगी
पर तुम भी वादा करो की हाथ जोड़कर मुझे उनसे माँगोगे नहीं कभी…
चलो वादा किया तुम्हारे बारे में अबसे लिखूँगी नहीं
पर तुम भी वादा करो कि मेरी कहानियों में खुदको ढूँढोगे नहीं…
मेने तो सारे वादे निभाए
तो फिर??
आज क्यूं याद आ रहे हो मुझे?
क्या तुम्हारी आंख में जो पानी है वो मेरे नाम के आंसू है??
क्या अब तक तुमने मेरी वो तस्वीर अपने लैपटॉप से डिलीट नहीं की?
क्या अब भी मुझे रब से मांग रहे हो?
या फिर मेरी कहानियो में खुदको वहा ढूंढ रहे हो
जहां मेने तुम्हे अबतक खोने दिया ही नहीं??
चलो आखिरी वादा करो
इन सब वादों को तोड़ दोगे
और मुझे सीने से लगा लोगे..
इससे पहले की
मेरी लाश को आग लगायेंगे..
बोलो ना..
सारे वादों को तोडोगे ना तुम?
आखरी बार आओगे ना तुम ?
- by Hira Mokariya
काश!!!
काश..
मोहब्बत की भी कोई दुनिया होती
जहां प्रेम के शहर होते
जहा प्रेमियो की बस्तिया होती
जहां इश्क की गलियां होती
जहां सुकून का घर होता
जहाँ दिल की दीवारे होती
जहाँ प्यार की बाते होती
जहा भरे बाजार में मुलाकातें होती
जहां खुशी के फूल होते
जहां हर मौसम बरसात होती
जहां कोई तुम्हें रोकता न होता
जहाँ मुझे कोई डर न होता
जहाँ सपने नहीं हकीकते होती
जहाँ इंतज़ार नहीं मुलाकातें होती
जहाँ मैं तेरे लिए नहीं तरसती
जहाँ तू मेरे लिए नहीं तरसता
काश..
मोहब्बत की भी कोई दुनिया होती
जहाँ तू मेरा होता
जहाँ मैं तेरी होती…
- by Hira Mokariya

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